हरियाणा में अनिल विज का बगावती रुख, सैनी सरकार पर उठाए सवाल
हरियाणा में बीजेपी की सरकार के चार महीने के भीतर ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में सरकार को एक बड़े सियासी संकट का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज ने अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका सबसे बड़ा निशाना मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हैं, जिनके खिलाफ वे लगातार सवाल उठाते रहे हैं। बीजेपी को इस वक्त अपनी ही सरकार के अंदर से आ रहे इस आक्रामक विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पार्टी को काफी असहज स्थिति का सामना हो रहा है।
अनिल विज की सियासी स्थिति हरियाणा में मजबूत मानी जाती है। वह पार्टी के दिग्गज नेता हैं और लंबे समय से बीजेपी के साथ जुड़े हुए हैं। हरियाणा में बीजेपी के पंजाबी चेहरे के तौर पर उनकी पहचान है, और वह न केवल पार्टी के अंदर बल्कि राज्य की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण हस्ती माने जाते हैं। हालांकि, जब से नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है, तब से विज ने अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर करनी शुरू कर दी है।
अनिल विज ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक फोटो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के करीबी माने जाने वाले आशीष तायल पर सवाल उठाए थे। विज का आरोप था कि तायल, जो खुद को सैनी का परम मित्र बताते हैं, विधानसभा चुनाव के दौरान उनके प्रतिद्वंद्वी चित्रा सरवारा के साथ नजर आए थे। विज ने इस पर सवाल उठाते हुए यह पूछा कि भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ मुखालफत किसने करवाई। इसके साथ ही, विज ने मुख्यमंत्री सैनी के प्रति अपनी नाराजगी को सार्वजनिक किया।
विज का आरोप केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अपनी नाराजगी को और भी सार्वजनिक किया। 30 जनवरी को विज ने कहा था कि अगर सरकार ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया तो वह किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तरह आमरण अनशन पर बैठ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब जनता दरबार और ग्रेवियांस कमेटी की बैठक में नहीं जाएंगे, और अंबाला के हक के लिए अनशन पर बैठने को तैयार हैं।
अनिल विज का यह कदम बीजेपी के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गया है। जब तक यह विवाद पार्टी के अंदर था, तब तक पार्टी को इसे नजरअंदाज करने का अवसर था, लेकिन जब यह मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए सार्वजनिक हो गया, तब पार्टी को इससे निपटने की मजबूरी महसूस हुई। विज ने कहा था कि 100 दिन बीत चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कोई कार्रवाई नहीं की। विज का कहना था कि मुख्यमंत्री सैनी उड़न खटोले पर सवार हैं और नीचे उतर कर जनता के दुख-दर्द को देखना चाहिए।
विज ने इसके बाद 31 जनवरी को एक और बयान दिया, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री सैनी पर सीधा हमला किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कई बार उनकी टिप्पणियों को नजरअंदाज किया गया, और कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विज ने यह भी कहा कि जब से सैनी मुख्यमंत्री बने हैं, तब से उन्होंने राज्य की वास्तविक स्थिति को समझने का प्रयास नहीं किया है। विज ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार में मंत्री होते हुए भी उन्हें उचित सम्मान और स्थान नहीं मिल रहा है।
हरियाणा में बीजेपी की राजनीति में अनिल विज का एक अलग स्थान है। वह सातवीं बार विधायक बने हैं और राज्य में बीजेपी की मजबूत सियासी स्थिति बनाने में उनका योगदान अहम रहा है। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नायब सिंह सैनी का कब्जा होते ही उनके अंदर एक असंतोष की भावना पैदा हो गई। वह पहले भी मनोहर लाल खट्टर की सरकार में आक्रामक तेवर अपनाते रहे थे, और अब सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके गुस्से का कारण यह भी है कि उन्हें उम्मीद थी कि वरिष्ठता के आधार पर पार्टी उनके नाम पर विचार करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नायब सिंह सैनी का राजनीतिक कैरियर 2014 में शुरू हुआ था, जब वह पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद वह मोदी लहर में बीजेपी का हिस्सा बने और पार्टी के लिए काम किया। लेकिन अनिल विज की सियासी यात्रा काफी लंबी रही है। वह बीजेपी के शुरुआती दिनों से जुड़े हुए थे, जब पार्टी के पास सिर्फ दो विधायक थे, और उनका नाम उन दोनों में से एक था। इसके बाद से ही विज ने बीजेपी की राजनीतिक जमीन तैयार की और अब उनकी सियासी ताकत हरियाणा में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है।
अनिल विज की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी उनसे जूनियर हैं। विज ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें सैनी जैसे युवा नेता के तहत काम करना पड़ेगा, जबकि उनका राजनीतिक अनुभव और स्थिति कहीं अधिक मजबूत है। विज की राजनीतिक समझ और उनकी सियासी ताकत को देखते हुए यह माना जाता है कि वह हरियाणा में बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ हो सकते थे, लेकिन सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी महत्वाकांक्षाओं को झटका लगा।
यह विवाद न केवल हरियाणा बीजेपी के अंदर की राजनीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इसका असर राज्य की सरकार की कार्यप्रणाली पर भी पड़ सकता है। अगर यह विवाद और गहरा होता है, तो बीजेपी के लिए अपने सियासी संतुलन को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। नायब सिंह सैनी के लिए यह एक बड़ा चैलेंज हो सकता है, क्योंकि उन्हें न केवल अपनी पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष से निपटना होगा, बल्कि अपनी सरकार की छवि को भी बनाए रखना होगा।
हरियाणा में बीजेपी के अंदर चल रहा यह सियासी संकट, पार्टी के लिए आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती बन सकता है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और अनिल विज के बीच यह विवाद आने वाले समय में और गहरा सकता है, जिससे राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है। इस विवाद का परिणाम केवल बीजेपी के लिए नहीं, बल्कि हरियाणा की जनता के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
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