
दिल्ली का चुनाव पानी पर विवाद
शिखर प्रसंग समाचार
दिल्ली में विधानसभा चुनावों का अंतिम दिन है और जैसे-जैसे मतदान का समय नजदीक आ रहा है, चुनावी माहौल में उबाल आ गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी है। चुनाव प्रचार के दौरान सबसे अधिक चर्चा जिन मुद्दों पर हुई, उनमें भ्रष्टाचार, शीशमहल, यमुना की सफाई और साफ पीने के पानी का मुद्दा प्रमुख रहे हैं। लेकिन इस चुनाव में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि साफ पीने के पानी का मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत-हार का सबसे बड़ा कारण बनने जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया था कि वह जानबूझकर दिल्लीवासियों को जहरीला पानी पिलाकर उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। इस आरोप के जरिए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चुनावी माहौल को अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन यह आरोप अब उनके लिए मुसीबत बन गया है। बीजेपी ने इस मुद्दे को पूरी तरह से उठाया और केजरीवाल के खिलाफ प्रचार शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभाओं में इस बयान को कई बार उठाया, और केजरीवाल को घेरने की पूरी कोशिश की। केजरीवाल को न केवल चुनाव आयोग द्वारा तलब किया गया, बल्कि उनके खिलाफ हरियाणा के थानों में मुकदमा भी दर्ज हुआ। इस विवाद ने चुनावी माहौल को और भी गर्म कर दिया।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा अब साफ पानी बन चुका है। इस बीच, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को उठाया है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने दिल्ली में साफ पानी की आपूर्ति नहीं कर पाई। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि दिल्ली के गरीब लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, जबकि केजरीवाल सरकार सत्ता में आते ही झूठे वादे कर रही है। राहुल गांधी ने कहा कि जब तक यमुना नदी साफ नहीं होती, तब तक दिल्लीवासियों को साफ पानी मिलना असंभव है। उनके इस बयान ने इस मुद्दे को और भी गरम कर दिया, और अब यह मुद्दा दिल्ली के चुनावी प्रचार का अहम हिस्सा बन चुका है।
आईएएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के 23 विधानसभा क्षेत्रों में पीने का पानी असुरक्षित पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन क्षेत्रों में पानी पीने योग्य नहीं है, जो कि दिल्ली सरकार की नाकामी को उजागर करता है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली में साफ पानी की आपूर्ति हो रही है, लेकिन इस रिपोर्ट ने उनकी स्थिति को चुनौती दी है। आम आदमी पार्टी ने बार-बार यह कहा कि दिल्ली में पानी की आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए वे काम कर रहे हैं, लेकिन चुनावी मुद्दे पर यह साबित नहीं हो पा रहा है कि उनके दावे सच हैं।
अरविंद केजरीवाल ने यह स्वीकार किया था कि वह 24 घंटे पानी की आपूर्ति का अपना वादा पूरा नहीं कर पाए हैं, और इसके लिए उन्होंने जनता से और समय मांगा। लेकिन अब यह मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए इतना बड़ा बन चुका है कि लोग इसे मुख्य चुनावी मुद्दे के तौर पर देख रहे हैं। खासकर राहुल गांधी के लगातार इस मुद्दे को उठाने से आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राहुल गांधी ने पहले केजरीवाल को चुनौती दी थी कि वह यमुना नदी में डुबकी लगाकर दिखाएं और अब वे दिल्ली में सप्लाई होने वाले गंदे पानी को दिखाकर इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा, दिल्ली की यमुना नदी की सफाई भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है। आम आदमी पार्टी ने हमेशा दावा किया कि यमुना को साफ करना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन यह बात अब दिल्ली के लोगों के लिए सिर्फ एक वादा ही बनकर रह गई है। दिल्ली की यमुना नाले में बदल चुकी है, और यह देखकर किसी को भी यह विश्वास नहीं हो सकता कि यहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना को साफ करने का वादा किया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में दावा किया कि अगले दो साल में यमुना को साफ करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के काम किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नमामि गंगे योजना के तहत कुछ योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने अपने हिस्से का पैसा नहीं दिया, जिसके कारण काम में रुकावटें आ रही हैं।
दिल्ली में जल संकट भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की पब्लिक को पानी की आपूर्ति की जरूरत पूरी करने में लगातार कमी हो रही है। वर्तमान में दिल्ली की दैनिक जल आपूर्ति 129 करोड़ गैलन प्रति दिन की आवश्यकता के मुकाबले 96.9 करोड़ गैलन ही मिल पा रही है। इसका मतलब है कि दिल्लीवासियों को पर्याप्त साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी का यह कहना कि उन्हें काम करने का मौका नहीं मिला, यह भी अब लोगों के लिए एक बहाना बन चुका है।
इस बीच, दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 23 विधानसभा क्षेत्रों में पानी पीने योग्य नहीं पाया गया है, जिससे साफ हो गया है कि दिल्ली में जल संकट केवल एक प्राकृतिक समस्या नहीं है, बल्कि यह सरकार की असफलता का भी परिणाम है। हालांकि आम आदमी पार्टी का दावा है कि पिछले कुछ सालों में यमुना में जा रहे गंदे पानी का रेशियो घटा है, लेकिन यह रिपोर्ट इस दावे को नकारती है।
आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है। केजरीवाल ने पहले इस मुद्दे को हरियाणा सरकार के खिलाफ उठाया था, लेकिन अब यह खुद उनके खिलाफ जा रहा है। यमुना सफाई, पानी की कमी और जल संकट के कारण दिल्लीवासियों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ गई है। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी ने लगातार हमला किया है और अब कांग्रेस भी इस मुद्दे को चुनावी प्रचार का हिस्सा बना चुकी है। केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं, और साफ पानी का मुद्दा इस चुनावी नतीजे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।
दिल्ली के लोग लंबे समय से साफ पानी की कमी महसूस कर रहे हैं। गर्मियों के दिनों में पानी के लिए उनकी परेशानियां और बढ़ जाती हैं। दिल्ली सरकार ने कई बार टैंकर माफिया से लड़ने की बात की है, लेकिन ये समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में प्रतिदिन 712 मिलियन गैलन सीवेज उत्पन्न होता है, जिसमें से 184.9 मिलियन गैलन बिना ट्रीट हुए यमुना में गिर जाता है। इससे यह साफ होता है कि पानी की समस्या और प्रदूषण का समाधान जल्द से जल्द करना जरूरी है।
साफ पानी की समस्या के चलते दिल्लीवासियों के बीच निराशा का माहौल बना हुआ है। यही कारण है कि इस चुनाव में यह मुद्दा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बन गया है। अब तक की स्थिति को देखते हुए, यह कह सकते हैं कि चुनावी नतीजे इस पर निर्भर करेंगे कि कौन सी पार्टी इस मुद्दे का समाधान पेश करती है।
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